संदेश

History लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

1857 की क्रांति क्या है, इसका वर्णन करें।

चित्र
आप भी 1857 की क्रांति को अच्छे तरीके से समझना चाहते हो फुल एक्सप्लैनेशन के साथ तो आप इस आर्टिकल को मिस मत करना और दोस्तों 1857 की क्रांति क्या है 1857 की क्रांति के नायक कौन है ,1857 की क्रांति कैसी क्रांति थी, यदि आप भी इन सभी सवालों से परेशान हैं तो आप इसे पूरा जरूर पढ़ें। 1857  ki Kranti 1857 की क्रांति क्या है? क्रांति:–किसी वस्तु या विचार में अचानक बहुत सारे बदलाव का आना क्रांति कहलाता है लेकिन किसी क्रांति को पूर्ण रूप से उभरने से पहले उसकी प्रक्रिया एक लंबे समय से चली आ रही होती है जैसे कि 1857 की क्रांति   इस क्रांति को पूर्ण रूप से होने से पहले ही अंग्रेजो के द्वारा भारतीयों के धर्म में उथल-पुथल जैसे–सती प्रथा का अंत, बाल विवाह का अंत, विधवा पुनर्विवाह, etc और अंग्रेजों की नीतियां जैसे हड़प नीति, रैयतवाड़ी व्यवस्था, महलवारी व्यवस्था इन सभी कारणों के कारण भारतीयों के मन में अंग्रेजों के प्रति क्रोध द्वेष अविश्वास की भावना बढ़ती चली जा रही थी और अंततः इसका एक विशाल रूप अट्ठारह सौ सत्तावन में देखने को मिला,  इसी को हम 1857 की क्रांति कहते हैं। 1857 की क्रांति के कारण क्या है ?

Sindhu Ghati sabhyata( सिंधु घाटी सभ्यता ) explaned in hindi

चित्र
  दोस्तों क्या आप भी सिंधु घाटी सभ्यता( Sindhu Ghati sabhyata ) को याद करना चाहते हो , तो आप सही आर्टिकल पर पहुंचे हैं इस आर्टिकल में सिंधु घाटी सभ्यता को इतनी बारीकी से बताया गया है कि आप अगर इसे एक बार भी पढ़ लेते हैं तो आप इस आर्टिकल का 75% भाग याद कर लेंगे सिंधु घाटी सभ्यता(Sindhu Ghati sabhyata)  क्या है और यह कैसी सभ्यता थी, इसे जानने के लिए आप इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें।                                सिंधु घाटी सभ्यता को प्रॉपर्ली समझने के लिए सबसे पहले आपको यह समझना होगा कि सिंधु घाटी सभ्यता, इतिहास में समय के हिसाब से इसका काल स्थान कहां स्थित है। और इसी के साथ साथ उस समय के वातावरण को समझना होगा तभी हम सिंधु घाटी सभ्यता को पूरी डिटेल में समझ पाएंगे ।  सिंधु घाटी सभ्यता को बताने से पहले हम आपको कुछ ऐसी बातें बता देते हैं जिससे आपको सिंधु घाटी सभ्यता को समझने में और भी आसान हो जाएगा।    >इतिहास को मुख्यतः तीन भागों में बांटा गया है: – A). प्रागैतिहासिक काल B ). आद्य ऐतिहासिक काल  C). ऐतिहासिक काल         >यहां पर सिंधु घाटी सभ्यता दूसरे स्थान( आद्य ऐतिहासिक काल) स

गुलाम वंश क्या है और उनके शासक कौन कौन हुऐ?

चित्र
दोस्तों यदि आप भी गुलाम वंश क्या है और उनके शासक कौन-कौन हुए । यदि आप इस सवाल का जवाब ढूंढ रहे हैं तो आप इस पोस्ट अवश्य पढ़ें। दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम यही बात करेंगे कि गुलाम वंश क्या है गुलाम वंश के ऊपर पूरा डिटेल बात करेंगे कि गुलाम वंश क्या है । और गुलाम वंश के सभी शासकों के नाम एवं उस शासक के बारे में डिटेल जानेंगे । और इस पोस्ट में वह सारे प्रश्न  का उत्तर दिया गया है जो कॉन्पिटिटिव एग्जाम में ज्यादा महत्व रखता है।                            दिल्ली सल्तनत का पहले वंश का नाम गुलाम वंश है जिसके बारे में आज हम पूरी डिटेल बात करेंगे। गुलाम वंश             गुलाम वंश क्या है  गुलाम वंश का नाम गुलाम वंश क्यों रखा गया इसे गुलाम वंश इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस वंश के जितने भी शासक हुए सभी के सभी किसी ना किसी शासक के गुलाम हुए थे इसलिए इसे गुलाम वंश के नाम से भी जाना जाता है। गुलाम वंश के शासकगन  1). कुतुबुद्दीन ऐबक (1206-1210) 2).आरामशाह (1210-1211) 3).शम्सुद्दीन इल्तुतमिश (1211-1236) 4).रुक्नुद्दीन फिरोजशाह (1236) 5).रजिया सुल्तान (1236-1240) 6).मुईज़ुद्दीन बहरामशाह (1240-1242) 7).

प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत क्या हैं ?

चित्र
यदि आप भी प्राचीन इतिहास को अच्छी तरीके से समझना चाहते हैं शेड्यल से, तो सबसे पहले आपको ये जानना जरूरी है कि  प्राचीन इतिहास के स्रोत क्या क्या है ।  और यदि आप इस पोस्ट को पूरे पढ़ लेते हैं तो आपके मन में यह सभी सवाल  प्राचीन इतिहास के स्रोत क्या है , प्राचीन इतिहास के साहित्यिक स्रोत क्या है। तो चलिए आगे बढ़ते हैं। प्राचीन इतिहास के स्रोत क्या क्या है । प्राचीन इतिहास को जानने  और समझने के लिए सभी प्रकार के स्रोतों को मुख्यतः दो भागों में बांटा जा सकता है             1) साहित्यिक स्रोत    2) पुरातात्विक स्रोत–   साहित्यिक स्रोत:– साहित्यिक स्रोत क्या है यदि हम इसके ऊपर चर्चा करें तो हम इसे आसान शब्दों में कह सकते हैं महामुनियों , महापुरुषों  संतों  द्वारा लिखे गए ग्रंथों को हम साहित्यिक स्रोत के नाम से जानते हैं  जैसे :– वेद,वेदांग,महाभारत etc.  साहित्यिक स्रोत को भी दो भागों में बांटा जा सकता है                    (a) धार्मिक साहित्य (religious literature)  (b). धर्मेत्तर साहित्य (non -religious literature) (a) धार्मिक साहित्य:– धार्मिक साहित्य में हिन्दू धर्म से संबंधित वेद, उपनिषद

भारतीय इतिहास कैसे पढ़ें हिंदी में जाने।

चित्र
  भारतीय इतिहास कैसे पढ़ें (how to read Indian history) शुरू से तो आगे पढ़ें                                                   Indian history part:-1 यदि आप हिस्ट्री को पढ़ना चाहते हो वह भी स्टेप बाय स्टेप तो यह पोस्ट आपके लिए है और मैं आपको यह भी कॉन्फिडेंस दिला देता हूं की यदि आप इस पोस्ट को पूरा पढ़ लेते हैं तो आपके मन में ये सभी सवाल (भारतीय इतिहास कैसे पढ़ें , भारतीय इतिहास कहां से पढ़ें, भारतीय  इतिहास क्यों पढ़ें ) आपके मन में कभी नहीं उठेगा तो आप इस पोस्ट को आगे पढ़ें>> Note:- यदि आपका सवाल है भारतीय इतिहास कैसे पढ़ें (how to read  Indian history )है तो आपको यह तो पता होना चाहिए कि history क्या है?     Definition{ परिभाषा} :–  अतीत का अध्ययन इतिहास कहलाता है 1Mission:- भारतीय इतिहास ( Indian history) को पढ़ना स्टार्ट कहां से करें? Step by step चलिए एक example से समझते हैं:– भारतीय इतिहास को समझने के लिए उदाहरण   यदि आप सोशल मीडिया से बिलॉन्ग करते हैं तो आपको पता होगा कि जब कोई लड़का या लड़की वायरल होता है अपने कलाकारी के हिसाब से तो सबसे पहले सभी smartphone यूजर उस कलाकार

इतिहास को कहाँ से पढ़ना चाहिए (history syllabus) सोचों ?

चित्र
इतिहास को कहाँ से पढ़ना चाहिए (history syllabus) सोचों ? दोस्तों यदि आप हिस्ट्री की शुरुआत करना चाहते हो तो आपको यह पता होना चाहिए कि हिस्ट्री का सिलेबस क्या है और हिस्ट्री को कहां से कहां तक पढ़ा जाता है तो हम आज के इस पोस्ट में यही बात करेंगे कि हिस्ट्री का सिलेबस क्या है हिस्ट्री को हमें कहां से पढ़ना चाहिए और कहां तक पढ़ना चाहिए ? इतिहास:– अतीत का अध्ययन इतिहास कहलाता है । इतिहास के पिता हेरोडोटस हैं , इतिहास को मुख्यतः तीन भागों में बांटा गया है                                     # इतिहास 1). प्रागैतिहासिक काल    2). आद्य ऐतिहासिक काल    3). ऐतिहासिक काल 1). प्रागैतिहासिक काल:–  इस काल में  मानव पढ़ना , लिखना कुछ नहीं जानता था मतलब शिक्षा नाम की कोई चीज ही नहीं थी । इस काल को पाषाण काल भी कहा जाता है।  (पाषाण काल अर्थात पत्थरों का समय ) इस कॉल को पाषाण काल इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस समय मानव के ज्यादातर औजार और हथियार पत्थरों के बने होते थे।                               इस काल को भी चार भागों में बांटा गया है:– a). पुरापाषाण काल b) मध्य पाषाण काल।   c). नवपाषाण काल। d). ताम्र