गुलाम वंश क्या है और उनके शासक कौन कौन हुऐ?
दोस्तों यदि आप भी गुलाम वंश क्या है और उनके शासक कौन-कौन हुए। यदि आप इस सवाल का जवाब ढूंढ रहे हैं तो आप इस पोस्ट अवश्य पढ़ें। दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम यही बात करेंगे कि गुलाम वंश क्या है गुलाम वंश के ऊपर पूरा डिटेल बात करेंगे कि गुलाम वंश क्या है । और गुलाम वंश के सभी शासकों के नाम एवं उस शासक के बारे में डिटेल जानेंगे । और इस पोस्ट में वह सारे प्रश्न का उत्तर दिया गया है जो कॉन्पिटिटिव एग्जाम में ज्यादा महत्व रखता है।
दिल्ली सल्तनत का पहले वंश का नाम गुलाम वंश है जिसके बारे में आज हम पूरी डिटेल बात करेंगे।
गुलाम वंश |
गुलाम वंश क्या है
गुलाम वंश का नाम गुलाम वंश क्यों रखा गया इसे गुलाम वंश इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस वंश के जितने भी शासक हुए सभी के सभी किसी ना किसी शासक के गुलाम हुए थे इसलिए इसे गुलाम वंश के नाम से भी जाना जाता है।
गुलाम वंश के शासकगन
2).आरामशाह (1210-1211)
3).शम्सुद्दीन इल्तुतमिश (1211-1236)
4).रुक्नुद्दीन फिरोजशाह (1236)
5).रजिया सुल्तान (1236-1240)
6).मुईज़ुद्दीन बहरामशाह (1240-1242)
7).अलाउद्दीन मसूदशाह (1242-1246)
8).नासिरुद्दीन महमूद शाह (1246-1265)
9).गयासुद्दीन बलबन (1265-1287)
10).अज़ुद्दीन कैकुबाद (1287-1290
11).क़ैयूमर्स (1290)
कुतुबुद्दीन ऐबक :–
गुलाम वंश के संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक है लेकिन इसे गुलाम वंश का वास्तविक संस्थापक नहीं माना जाता है (वास्तविक संस्थापक इल्तुतमिश को माना जाता है) । यह मोहम्मद गौरी का गुलाम था यह मूल रूप से तुर्किस्तान का निवासी था। लेकिन इन्होंने दिल्ली पर शासन किया इसका शासनकाल सिर्फ 4 वर्ष ही था 1206 से लेकर 1210 तक।
1 इसने अपने गुरु बख्तियार काकी के याद में कुतुब मीनार का निर्माण शुरू करवाया लेकिन इसको पूरा करवाने से पहले ही इसकी मृत्यु हो गई तो फिर इसे पूरा इल्तुतमिश ने करवाया। और फिर कुछ दिनों के बाद कुतुब मीनार मीनार पर प्राकृतिक रूप से बज्र गिरने से आंधी तूफान इत्यादि से क्षतिग्रस्त होने पर इसका रिपेयर फिरोजशाह तुगलक के द्वारा किया गया। क़ुतुब मीनार का प्रयोग पहले अजान के लिए किया जाता था।
2 इसने राजस्थान के अजमेर में ढाई दिन का झोपड़ा नामक मस्जिद का निर्माण करवाया। जो पहले एक संस्कृत विद्यालय के नाम से भी जाना जाता था।
>यह कुरान को बहुत अच्छे तरीके से याद कर लिए थे जिस कारण इसे कुरान खान या कुरान बख्श के नाम से भी जाना जाता है।
इसका मृत्यु 1210 ईस्वी में लाहौर में चौगान खेलते समय घोड़ा से गिरने से हुआ था और इसको लाहौर में ही दफना दिया गया। और इसके बाद दिल्ली सल्तनत का दूसरा शासक आराम सा बना।
2 ).आराम शाह
यह एक अयोग्य शासक था जिस कारण इसकी जानकारी इतिहास में उतना नहीं मिलती है और इसका सवाल ज्यादातर कॉम्पिटेटिव एग्जाम्स में भी नहीं पूछे जाते हैं।
3).इल्तुतमिश 1211 से 1236
इल्तुतमिश का पूरा नाम शमसुद्दीन इल्तुतमिश था। उसकी चार संताने थी नसीरुद्दीन महमूद, रुकनुद्दीन फिरोज़, रजिया सुल्तान और मुद्दीन बहराम।
इसे गुलाम वंश का वास्तविक संस्थापक माना जाता है यह दिल्ली का सुल्तान बनने से पहले बिहार प्रदेश के बदायूं का सूबेदार था यह कुतुबुद्दीन ऐबक का दामाद और गुलाम भी था। यह दिल्ली सल्तनत का पहला शासक था जिसने दिल्ली को अपना राजधानी बनाया इन्होंने सातवाहन काल में सामंती व्यवस्था के रूप में एक प्रणाली चलाया था जिसका नाम इक्ता प्रणाली था इसने एक चालीसा दल का भी स्थापना किया था जिसमें 40 पुरुष सरदार सम्मिलित रहते थे शासक के सलाहकार के रूप में और यह अपनी बात राजा के सामने रखते थे।
इक्ता प्रणाली क्या है?
इक्तादारी प्रणाली वह प्रणाली थी जिसमें सुल्तानों ने अपने प्रशासनिक , सैनिक और भू राजस्व कर को एकत्र करने वाले जो अधिकारी होते थे उन्हें उनके वेतन के रूप में जमीन को दिया जाता था तो इसी प्रक्रिया को इक्ता प्रणाली कहा जाता है।
इक्ता का अर्थ वह भूमि है जो किसी भी अधिकारी या सैनीक को वेतन के रूप में दिया जाता था।यह एक क्षेत्रीय अनुदान था जिसके पाने वाले को इक्तेदार कहा जाता था। जो नगद वेतन न लेकर भूमि का कुछ भाग लेते थे। इक्ता एक ऐसी संरचना थी जिसमें दो कार्य निहित थे पहला तो भूराजस्व इकट्ठा करना तथा तथा दूसरा उस एकत्रित भू - राजस्व को वेतन के रूप में अपने अधिकारियों को वितरित करना।
इल्तुतमिश के द्वारा बनाई गई इमारतें
>इसमें कुतुबुद्दीन ऐबक के द्वारा बनाया गया कुतुबमीनार को पूरा कराया।
>इसमें भारत में पहला मकबरा बनवाया
>इसने भारत में गुंबद निर्माण भी करना प्रारंभ किया जिस कारण इसे गुंबद निर्माण का पिता भी कहा जाता है।
इल्तुतमिश के द्वारा चलाए गए सिक्के
>यह दिल्ली सल्तनत का पहला शासक था जिसने अरबी सिक्के चलाए थे।
>इसने चांदी का सिक्का चलाया जिसे टांका कहा जाता था और तांबे के सिक्के जिसको जीतल कहां जाता था
इल्तुतमिश के द्वारा लड़े गए युद्ध
>तराइन का तृतीय युद्ध (1215) में इल्तुतमिश और यालदोज के बीच युद्ध हुआ था जिसमें इल्तुतमिश जीत गया था।
>इसने एक बार जियाउद्दीन– मान– बरूनी को शरण दे दिया था जिस कारण चंगेज खान का आक्रमण इसके ऊपर हो सकता था फिर किसी तरह से इसने एक बहुत बड़े विपदा से दिल्ली सल्तनत को बचाया।
इल्तुतमिश की मृत्यु:–
इसकी मृत्यु 1 मई 1236 में दिल्ली शहर में हो गया।
4).रुक्नुद्दीन फिरोजशाह (1236)
इल्तुतमिश मरने से पहले ही एक दस्तावेज पर लिख दिए थे कि दिल्ली सल्तनत का अगला शासक रजिया सुल्तान को बनाया जाएगा लेकिन इल्तुतमिश का चालीसा दल रजिया सुल्तान को पसंद नहीं करते थे क्योंकि वह एक महिला थी जिस कारण रजिया को दिल्ली सल्तनत का शासक नहीं बनाया गया बल्कि इल्तुतमिश का अयोग्य इल्तुतमिश के अयोग्य पुत्र रुकुनुद्दीन को बनाया गया।
लेकिन रजिया थी होशियार इसके पिता इल्तुतमिश ने एक प्रथा चलाया था कि यदि किसी को न्याय चाहिए तो फ्राइडे के दिन नमाज के बाद वह मस्जिद के बाहर लाल कपड़े पहन कर खड़ा हो जाए ताकि लोग उसे इंसाफ दिला सके इसी का फायदा रजिया सुल्तान ने उठाई। और एक दिन सेम प्रोसेस रजिया सुल्तान ने किया और सभी जनता को इन्होंने वह दस्तावेज दिखाया जो इसके पिता ने लिखा था ,जिससे सभी जनता रजिया सुल्तान के साथ हो गई जिस कारण रुकुनुद्दीन को गद्दी त्यागना पड़ा और finally रजिया सुल्तान दिल्ली सल्तनत का प्रथम महिला शासिका बन गई ।
दोस्तो आशा करता हूँ कि आप गुलाम वश के बारे में आपका जो भी सवाल होगा solve हो चुका होगा तो चलीये इस पोस्ट को यही पर end करते है .
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