वैदिक सभ्यता की चर्चा हिंदी में करें

 वैदिक सभ्यता की चर्चा करें (vadik sabhyata ki jankari)


वैदिक सभ्यता की चर्चा करें


सिंधु सभ्यता के पतन के बाद एक और ग्रामीण सभ्यता का उद्भव हुआ इसी को वैदिक काल कहा गया इसमें वेदों की रचना की गई जिस कारण से भी इसे वैदिक काल कहा जाता है वैदिक काल को मुख्यतः दो भागों में बांटा जाता है ऋग्वेद काल एंड उत्तर वैदिक काल , वैदिक काल की रचना आर्यों के द्वारा किया गया था आर्य लोग संस्कृत भाषा जानते थे जो मध्य एशिया से भारत के सप्त सेंधव प्रदेश में (सात नदियों का प्रदेश या पंजाब,हरियाणा etc.)आए थे। ये भारतीय लोगों को अनार्य कहते थे मतलब जो संस्कृत नहीं जानता है उन्हें अनार्य कहा जाता है और सारे लोग संस्कृत भाषा जानते थे इसलिए यह अपने आप को बहुत ही श्रेष्ठ मानते थे अर्थात देवताओं के समान मानते थे।

  आर्य प्रर्वतक होने के कारण यह सभ्यता आर्य सभ्यता भी कही गई तथा इस काल के बारे में जानकारी के प्रमुख स्रोत वेद हैं अत: इसे वैदिक सभ्यता या वैदिक संस्कृति कहा गया। इस समय का सबसे प्रिय पशु गाय थी । वैदिक सभ्यता की टाइमलाइन 1500 ईसा पूर्ण से 500 ईसा पूर्व तक सीमित है।



वैदिक काल के देवता:

इंद्र :–दोस्तों यह वैदिक काल का सबसे प्रमुख देवता था इसकी मान्यता उस समय बहुत अधिक थी। इन्हें युद्ध तथा वर्षा का देवता कहा जाता है। इन्हें पुरंदर भी कहा जाता है।

अग्नि:–इसकी चर्चा 200 बार है।

वरुण:– वायु के देवता

सोम:– जंगल के देवता

मारुत:– तूफान के देवता etc.


वैदिक काल की नदियां

आज का नाम –वैदिक काल के नाम

झेलम– वितस्तता

व्यास–बिपाशा

 चिनाव–अस्किनी

 सतलज– शत्रुदी

 सिंधु– सिंध

 सरस्वती–घग्घर 

 रावी– परुषणि

 गंडक – सदानीरा

         वैदिक शास्त्र में सर्वाधिक चर्चा सिंधु नदी की है सिंधु नदी क्योंकि यह सबसे महत्वपूर्ण नदी है

> दक्षिण भारत का आर्यीकरण अगस्त ऋषि के द्वारा किया गया।

>उत्तर भारत का आर्यीकरण राजा विदेह पुरोहित गौतम राहुगढ़ ने किया। 

किंतु गौतम राहूगढ़ पटना के गंडक नदी पार करके पटना नहीं पहुंच पाए इसलिए अथर्ववेद में पाटलिपुत्र को अछूतों का भूमि कही गई है। और इसलिए यहां के गंगाजल शुद्ध नहीं मानी जाती है ।

=} वैदिक काल को दो भागों में बांटा गया है 1)पूर्व वैदिक काल 2)उत्तर वैदिक काल।



                                                 वैदिक काल


 1). पूर्ववैदिक या ऋग्वैदिक काल।    ( 1500–1000 ई. पु.)    2). उत्तरवैदिक काल (1000–500 ई. पु.)

              


1). पूर्ववैदिक या ऋग्वैदिक काल(1500-1000 ई.पू.)-

ऋग्वैदिक काल का इतिहास हमें पूरी तरह से ऋग्वेद से ही ज्ञात होता है। इसलिए इसे ऋग्वैदिक काल कहा जाता है।यह ग्रामीण संस्कृति है ।ऋग्वेद के काल निर्धारण में विद्वानों में मतभेद हैं।सबसे पहले मैक्समूलर ने वेदों के काल निर्धारण का प्रयास किया था।

मैक्समूलर के अनुसार आर्यों का मूल निवास स्थान मध्य एशिया था। आर्यों द्वारा स्थापित सभ्यता वैदिक सभ्यता थी तथा इस सभ्यता को ग्रामीण संस्कृति भी कहा गया । यह सभ्यता सिंधु सभ्यता से काफी भिन्न थी।


 ऋग्वैदिक काल की प्रारंभिक स्थिति–

 वैदिक काल के शुरुआती दौर के मनुष्य ज्यादातर पशु पालने के ऊपर ध्यान देते थे मतलब कहने का यह व्यवसायिक रूप से पशु पालन करते थे। और पशुओं से ही व्यापार करते थे । यह लोग पशुओं से ही दूध मांस अंडा इत्यादि सभी खाने वाले पदार्थों को भी पाते थे। जिसका साक्ष्य हमें ऋग्वेद से प्राप्त होता है। ऐसा नहीं कि लोगों के द्वारा जब गाय पाला जाता था तो खेती नहीं किया जाता होगा खेती की शुरुआत भी हो चुकी है लेकिन जितना पशुओं का पालन होता था उतना खेती-बाड़ी पर ध्यान नहीं दिया जाता था। ऋग्वेद के सातवें मंडल में दसराज युद्ध की चर्चा है। जो आर्य लोग तथा अनार्य लोगों के बीच में हुआ।


उत्तरवैदिक काल (1000 -500 ई०पू०)

 ऋग्वैदिक काल के बाद उत्तर वैदिक काल का आगमन होता है जो 1000 से 500 ई.पू. समय तक चलता है।ऋग्वैदिक काल में आर्यों का निवास स्थान सिंधु तथा सरस्वती नदियों के बीच में था। बाद में वे सम्पूर्ण उत्तर भारत में फ़ैल चुके थे। सभ्यता का मुख्य क्षेत्र गंगा और उसकी सहायक नदियों का मैदान हो गया था। गंगा को आज भारत की सबसे पवित्र नदी माना जाता है। इस काल में विश् का विस्तार होता गया और कई जन विलुप्त हो गए। 

वैदिक साहित्य

वैदिक साहित्य में चार वेद एवं उनकी संहिताओं, ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषदों एवं वेदांगों को शामिल किया जाता है।



दोस्तों आशा करता हूं की वैदिक काल के बारे में आप बहुत कुछ जान चुके होंगे और भी यदि आपका सवाल हो तो कमेंट में जरूर पूछें।

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